मोबाइल कस्टमर्स को झटका: Jio एयरटेल वोडाफोन ने 50% तक बढ़ाए रेट

नई दिल्ली : घाटे से जूझ रही टेलीकॉम कंपनियों ने अपने प्रीपेड ग्राहकों को बड़ा झटका दिया है. सस्ती कॉल और इंटरनेट के दिन चले गए लगते हैं. जियो, एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया सभी ने अपने प्रीपेड उत्पादों और सेवाओं के लिए टैरिफ में भारी बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है. इससे ग्राहकों के मोबाइल बिल में 50 फीसदी तक की बढ़त हो सकती है.

भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने रविवार को अपने टैरिफ में 15 से 40 फीसदी की बढ़त की घोषणा की है. यह बढ़त 3 दिसंबर से लागू होगी. जियो ने भी रविवार को अपनी नई शुल्क दर योजना में 40 फीसदी तक की वृद्धि की घोषणा की. रिलायंस जियो ने एक बयान में कहा कि उसका नया प्लान ´ऑल इन वन´ छह दिसंबर से लागू होगा.

जियो ने एक बयान में कहा, ´जियो अनलिमिटेड वॉयस व डाटा के साथ ऑल-इन-वन प्लान लाएगी. इस प्लान में अन्य मोबाइल नेटवर्क पर कॉल करने के लिए उचित उपयोग की नीति होगी. ´  नया ऑल इन वन प्लान 40 फीसदी तक महंगा होगा. जियो के करीब 33 करोड़ ग्राहक हैं.

वोडाफोन आइडिया के नेटवर्क पर फोन कॉल और डेटा के लिए प्री-पेड उपभोक्ताओं को अब 50 फीसदी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है. उदाहरण के लिए आइडिया वोडाफोन का जो 12 जीबी डेटा प्लान पहले 999 रुपये का था वह अब 1499 रुपये का हो गया है.  

इसी तरह एयरटेल के नए प्लान में हर दिन का टैरिफ 50 पैसे से 2. 85 रुपये तक बढ़ गया है. एयरटेल के नए प्लान से 169 रुपये के प्लान की बात करें तो ग्राहकों को 46 फीसदी से भी ज्यादा चार्ज देना पड़ सकता है.   वोडाफोन के करीब 38 करोड़ ग्राहक हैं, जबकि एयरटेल के करीब 28 करोड़ ग्राहक हैं.

गौरतलब है कि इसके पहले टेलीकॉम कंपनियों की गलाकाट प्रतिस्पर्धा की वजह से भारत में कॉल और डेटा चार्ज काफी सस्ते हो गए थे. अब जो इजाफा हो रहा है, वह पिछले 5 साल में पहली बार हो रहा है.

समायोजित सकल आय (एजीआर) पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की वजह से टेलीकॉम कंपनियों को सरकार को भारी राजस्व देना पड़ रहा है. इसकी वजह से इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में वोडाफोन को भारतीय कॉरपोरेट जगत का सबसे ज्यादा 50,922 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.

इसके अलावा कंपनी के ऊपर 1. 17 लाख करोड़ रुपये की भारी देनदारी है. एयरटेल को इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 23,045 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. इसलिए कंपनियों के पास अपना टैरिफ बढ़ाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं दिख रहा था.

एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) संचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूजेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से होते हैं- स्पेक्ट्रम यूजेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस, जो क्रमश 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है.

दूरसंचार विभाग कहता है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपॉजिट इंट्रेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल हो. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.

इसके बाद टेलीकॉम कंपनियों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी 24 अक्टूबर, 2019 के अपने आदेश में दूरसंचार विभाग के रुख को सही ठहराया और सरकार को यह अधिकार दिया कि वह करीब 94,000 करोड़ रुपये की बकाया समायोजित ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) टेलीकॉम कंपनियों से वसूलें. ब्याज और जुर्माने के साथ यह करीब 1. 3 लाख करोड़ रुपये हो जाता है. कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों से तीन महीने के भीतर यह बकाया राशि जमा करने को कहा.


Web Title : BLOW TO MOBILE CUSTOMERS: JIO AIRTEL VODAFONE HIKES RATE BY 50%

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